विद्यालयों द्वारा छात्रों की सर्वश्रेष्ठ क्षमता का विकास कर उन्हें सशक्त बनाया जाना चाहिए | इससे उनमें तार्किक चिन्तन एवं जिज्ञासु प्रवृत्ति विकसित होगी | इस प्रकार वे योग्य नागरिक बनकर समाज के लिए अर्थपूर्ण योगदान देने में सक्षम होंगे |
आप किस प्रकार सीखने के लिए ऐसा वातावरण तैयार कर सकते हैं जहां छात्र स्वयं को सहज एवं सुरक्षित महसूस कर तार्किक चिन्तन का कौशल विकसित कर सकें एवं जिज्ञासु बन सकें ? इसका उत्तर यही है कि रटकर याद करवाने के बजाय सीखने की प्रक्रिया को आनन्ददायी बनाया जाए।
अतः बालकेन्द्रित शिक्षण से हमारा तात्पर्य ऐसी प्रक्रिया से है जो बच्चों को उच्च स्तरीय चिन्तन करने योग्य बनाए |
रटकर सीखने की विधि में शिक्षक छात्रों को व्याख्यान द्वारा सिर्फ सूचनाएं प्रदान करता है वहीं बालकेन्द्रित शिक्षण में शिक्षक ज्ञान को सुगम बनाकर सुगमकर्ता की भूमिका निभाता है। यहां शिक्षक द्वारा छात्रों को यह सिखाया जाता है कि कैसे सूचनाओं को ज्ञान में परिवर्तित कर जीवनोपयोगी बनाया जाए।
इस इकाई में वीडियो एवं हैंडआउट द्वारा आपको बाल केन्द्रित शिक्षण को कक्षा कक्ष में क्रियान्वित करने के बारे में विस्तार से बताया गया है। वीडियो द्वारा अधिगम को आनन्ददायी बनाने के लिए शिक्षण विधियों में नवाचारों का प्रभावी रूप से प्रयोग भी बताया गया है।
आशा है यह वीडियो शिक्षण अधिगम प्रक्रिया को आनन्ददायी बनाने की दिशा में प्रमुखों का मार्गदर्शन करेगा |
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